- अनुशासन का अर्थ • विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्त्व • दोनों एक-दूसरे के पूरक
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता होती है, क्योंकि अनुशासन के बिना शासन संभव नहीं। ‘अनुशासन’ का शाब्दिक अर्थ है-नियंत्रक द्वारा बनाए गए नियमों का अनुगमन करना अर्थात् पीछे-पीछे चलना, यदि और स्पष्ट रूप से कहें तो अनुशासन का अर्थ “व्यक्ति के विभिन्न क्रिया-कलापों को एक सीमा में बाँधना है, जो समाज, राष्ट्र, राज्य, संस्था एवं स्वयं उसके लिए कल्याणकारी हों।” विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व है। आज के नागरिक कल के नेता हैं, उन्हें ही देश की पतवार सँभालनी है। अतः विद्यार्थियों का समुचित विकास आवश्यक है। वास्तव में विद्यार्थी-जीवन का आदर्श ही अनुशासन है, क्योंकि यही जीवन का निर्माण-काल है।यही तुम्हारा समय ज्ञान संचय करने का,
संयमशील, सुशील सदाचारी बनने का।यह सब संभव हो सकता यदि अनुशासन हो,मन में प्रेम, बड़ों का आदर, श्रद्धा का आसन हो ।।
हर समय कुछ-न-कुछ सीखने के लिए विद्यार्थी-जीवन ही सर्वोत्तम अवस्था है। जो विद्यार्थी प्रारंभिक अवस्था से अनुशासन का पालन करते हैं, उन्हें कभी असफलता का मुँह नहीं देखना पड़ता। किसी ने ठीक ही कहा हैअनुशासन सफलता की कुंजी है। अनुशासनहीनता मनुष्य को स्वार्थी एवं आलसी बना देती है। हमारा सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक विकास रुक जाता है। अनुशासनहीनता के कारण ही समाज में अपराधीकरण बढ़ता है। विद्यार्थियों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। वे माता-पिता एवं गुरुजनों की अवज्ञा करने लगते हैं। आज उन्हें देश-समाज आदि की चिंता नहीं है, उन्हें किसी से सहानुभूति भी नहीं है और उनका आचरण दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होता जा रहा है।