- समय की परख ० समय के सम्मान से ही सफलता • समय की पालक प्रकृति
एक बार महात्मा गांधी से किसी ने पूछा कि “जीवन की सफलता का श्रेय आप किसे देते हैं–शिक्षा, शक्ति । अथवा धन को।” उत्तर मिला-“ये वस्तुएँ जीवन को सफल बनाने में सहायक अवश्य हैं, परंतु सबसे महत्त्वपूर्ण । है-समय की परख। जिसने समय की परख करना सीख लिया उसने जीने की कला सीख ली।” जो लोग उचित समय पर उचित कार्य करने की योजना बनाते हैं, वे ही समय के महत्त्व को जानते हैं। जो व्यक्ति समय को नष्ट करता है, समय उसे नष्ट कर देता है। समय कभी रुकता नहीं है, वह सम्मान माँगता है। जो जाति समय का सम्मान करना जानती । है, वह अपनी शक्ति कई गुना बढ़ा लेती है और विश्व की प्रमुख सत्ता बन बैठती है। फ्रैंकलिन के अनुसार-समय का सदुपयोग करने से जीवन में निश्चितता आती है, सब कार्य सुचारु रूप से होते चले जाते हैं। प्रत्येक कार्य के लिए समय मिल जाता है, चित्त शांत एवं प्रसन्न रहता है। धरती, सूर्य, चाँद-तारे, यहाँ तक कि संपूर्ण प्रकृति समय का पालन करती है तो मनुष्य को भी उसका अनुसरण करना चाहिए। जीवन का एक-एक पल मूल्यवान है। समय मनुष्य का सबसे बड़ा धन है। युद्ध में एक मिनट खो देना सब कुछ खो देना है। अंग्रेजी की एक कहावत है कि “समय तथा समुद्र की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करतीं।” इस संसार में सबसे अमूल्य है समय। जो इसे नष्ट करता है वह स्वयं नष्ट हो जाता है।
है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें, सब बह जाया करते हैं।है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल, पर्वत झुक जाया करते हैं। ।
इस संसार में सभी वस्तुओं को घटाया और बढ़ाया जा सकता है, पर समय को नहीं। समय किसी के अधीन नहीं। न वह रुकता है और न वह किसी की प्रतीक्षा करता है । कबीर के अनुसार जो लोग दिन खा-पीकर और रात सो कर गुजार देते हैं वे हीरे जैसे अनमोल जीवन को कौड़ियों के मूल्य बेच देते हैं। ऐसे लोग, अंत में पछताते रह जाते हैं। समय एक ऐसा देवता है यदि वह प्रसन्न हो जाए तो इंसान को उन्नति के शिखर तक पहुँचा देता है, यदि नाराज़ हो जाए तो इंसान को पतन के गर्त में गिरा देता है। अतः इस मूल्यवान समय का हमें हमेशा सदुपयोग करना चाहिए ।