स्थानीय बोली में स्थानीय सांस्कृतिक परम्पराओं से सम्बन्धित ढेर सारे कार्यक्रम अब श्रोताओं तक प्रसारित किए जा सकेंगे जिसका प्रसारण-माध्यम होगा-एफ.एम.रेडियो। पहले की भांति अब समय सीमा की वजह से रेडियो तरंगों से स्थानीय सामग्री और संदर्भ वाले कार्यक्रमों का हटाया नहीं जा सकेगा। निजी एफ.एम. (फ्रीक्वेंसी माॅड्यूलेशन) रेडियो स्टेशनों के दूसरे चरण की सरकार की नीति लागू होते ही यह हकीकत सामने आ गई।
नौवीं पंचवर्षीय योजना में सरकार का रेडियो के बारे में नीतिगत लक्ष्य विषय वस्तु की विविधता तथा तकनीकी गुणवत्ता बढ़ाना था। तकनीकी मोर्चे पर जोर मीडियम वेव से हटकर एफ.एम. पर आ गया। कार्यक्रम में सुधार, तकनीकी विशिष्टता के बढ़ाने, पुराने और बेकार उपकरणों के नवीनीकरण और रेडियो स्टेशनों पर नवीन सुविधाएं उपलब्ध कराने पर मुख्य जोर था। उदारीकरण और सुधारों की नीति के अनुरूप सरकार ने लाइसेंस शुल्क आधार पर पूर्ण भारतीय स्वामित्व वाले एफ.एम. रेडियो केंद्र स्थापित करने की अनुमति प्रदान कर दी है। मई 2005 में सरकार ने देश के 40 नगरों में एफ.एम. की 40 फ्रीक्वेंसियों की खुली बोली के द्वारा नीलामी की। सरकार द्वारा निजी भागीदारी के लिए फ्रीक्वेंसियों को खोलने के मुख्य अभिप्रेत थे-एफ.एम. रेडियो नेटवर्क का विस्तार, उच्च गुणवत्ता वाले रेडियो कार्यक्रम उपलब्ध कराना, स्थानीय प्रतिभा को प्रोत्साहन देना तथा रोजगार बढ़ाना और आकाशवाणी की सेवाओं की सहायता करना एवं भारतवासियों के लाभार्थ देश में प्रसरण नेटवर्क के त्वरित विस्तार को बढ़ावा देना।
जुलाई 2003 में सरकार ने एफ.एम. प्रसारण के उदारीकरण के दूसरे चरण के लए रेडियो प्रसारण नीति समिति का गठन किया। इस समिति ने पहले चरण से हासिल सीखें, दूरसंचार क्षेत्र से सम्बद्ध अनुभवों तथा वैश्विक अनुभवों का अध्ययन करने के उपरांत कई सुझाव दिए। इनमें प्राथमिक रूप से प्रसारण क्षेत्र में प्रवेश करने और छोड़ने की प्रविधि, लाइसेंस शुल्क की संरचना, सेवाओं का क्षेत्र बढ़ने और मौजूदा लाइसेंसधारियों के दूसरे चरण में जाने की विधि सम्बन्धी अनुशंसाएं हैं।
दुनिया भर में रेडियो प्रसारणों का पसंदीदा माध्यम एफ.एम. ही है। इसकी वजह इसकी उक्त गुणवŸाा वाली स्टीरियोफोनिक आवाज है। इसलिए दसवीं योजना में मीडियम वेव प्रसारण नेटवर्क को, जिसकी पहुंच 99 प्रतिशत आबादी तक है, समन्वित करने के साथ-साथ एफ.एम. की कवरेज को दोगुना करने पर जोर दिया गया। एफ.एम. की कवरेज देश की आबादी के 30 प्रतिशत तक थी। यह सारा का सारा कवरेज तब तक आकाशवाणी के द्वारा किया जा रहा था। इसे दोगुना कर 60 प्रतिशत आबादी का एफ.एम. प्रसारण की कवरेज के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया। इसके लिए निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने तथा लाइसेंस की नीलामी की मौजूदा प्रणाली क स्थान पर प्रविधि लाने पर जोर दिया गया। अन्य मुख्य क्षेत्र इस प्रकार रखे गए-20 किलोवाट तक की क्षमता वाले सभी एफ.एम. एवं मीडियम वेव ट्रांसमीटरों को स्वचालित बनाना, सिक्किम सहित सभी पूर्वोŸार राज्यों तथा द्वीप-समूहों में रेडियो की पहुंच का विस्तार और उसे मजबूती देना तथा एफ.एम. के बेहतर प्रसारण और साफ आवाज के कारण उपयोग साक्षरता के प्रसार के लिए करना।
पहले चरण में 108 फ्रीक्वेंशियों का चालू किया गया था और दो को चालू किया गया ’मान’ लिया था। 40 शहरों के 108 फ्रीक्वेंसियों के लिए सरकार को कुल 101 बोलियां प्राप्त हुई। पहले भाग में वे फ्रीक्वेंशियां शामिल हैं जिन्हें पहले चरण में कवर किए गए नगरों की अन्य फ्रीक्वेंसियां भी शामिल हैं। दूसरे भाग में नए नगरों की फ्रीक्वेंसियों को शामिल किया गया है, जिन्हें अब तक कवर नहीं किया जा सका है।
नई नीति के तहत देश के 90 नगरों में 336 अतिरिक्त निजी एफ.एम. रेडियो चैनल उपलब्ध होंगे। इन नगरों को ।़ए ।ए ठए ब्ए क् वर्गों में रखा गया है। इसके अतिरिक्त इग्नू के 36 चैनल तथा 51 अन्य चैनलों को भी शैक्षिक उदेश्यों के लिए रखा गया है। लेकिन समाचार प्रसारण एफ.एम. रेडियो के दायरे से बाहर बना रहोगा। पूर्वोŸार के आठ शहरों का इस कार्यक्रम के तहत कवर किया जाएगा। इनमें 40 चैनल होंगे, जिनमें से 32 चैनल निजी प्रचालकों द्वारा संचालित किए जाएंगे तथा आठ शैक्षिक उदेश्यों को समर्पित होंगे। इसी तरह, जम्मू-कश्मीर के लिए नौ चैनलों की योजना बनाई गई है, जिनमें से सात पर निजी प्रसारण होंगे तथा दो पर शैक्षिक प्रसारण। ये सभी चैनल श्रीनगर तथा जम्मू में स्थित होंगे।
नवीन नीति के प्रावधानों के अन्तर्गत इस बात का ख्याल रखा गया है कि कोई एक बड़ा समूह वायु तरंगों पर एकाधिकार न कर ले। कोई भी समूह एक नगर में एक से अधिक एफ.एम. रेडियो स्टेशनों का स्वामित्व नहीं हासिल कर सकता। एक समूह को देश के कुल वायु तरंगों के 15 प्रतिशत से अधिक का स्वामित्व हासिल करने की अनुमति नहीं होगी।
’ग’ और ’घ’ वर्ग में आने वाले छोटे शहरों में अधिकाधिक प्रचालकों को आकर्षित करने के मकसद से यहां कार्यरत प्रचालाकों को अपने कार्यक्रम की नेटवर्किंग करने की अनुमति होगी। व उच्च वर्ग के शहरों में स्थित रेडियो स्टेशनों पर अपना विज्ञापन दे सकेंगे तथा उनके कार्यक्रमों का उपयोग कर सकेंगे।
शैक्षिक महत्व की सामग्री का सही-सही निर्धारण कठिन होने के बावजूद उम्मीद है कि इग्नू के 36 चैनलों सहित कुल 87 चैनल शैक्षिक उ६ेश्य की पूर्ति के लिए प्रसारण करेंगे। वे निचले स्तर पर अनौपचारिक तथा औपचारिक शिक्षा के प्रसार में अपना योगदान देंगे। कुछ लोगों को आशंका है कि ये निजी चैनल आकाशवाणी के साथ स्पद्र्धा करेंगे तथा उनके राजस्व का एक हिस्सा ले जाएंगे। लेकिन इससे श्रोताओं का बेहतर गुणवŸाा वाले कार्यक्रम मिल पाएंगे। वित्तिय हानि यदि हुई भी तो समय के साथ-साथ उसकी भरपाई कर ली जाएगी। इससे स्थानीय प्रतिभा के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
इन दिशा-निर्देशों के साथ सरकार ने देश में एफ.एम. रेडियो के विकास का वातावरण तैयार करने का गंभीर प्रयास किया है। समय के साथ-साथ इसके वास्तविक विकास का स्वरूप निजी उद्यम पर निर्भर करेगा।